Living with Surrender: Offering Your Karma to the Supreme

🌼 1. अपना काम भगवान की सेवा समझकर करना

जब आप कोई भी काम करें —
👉 “यह मैं नहीं कर रहा, भगवान मुझसे करववा रहे हैं।”
यह भावना अपने मन में रखते ही अहंकार खत्म होता है और काम पूजा बन जाता है।


🌼 2. फल (Result) भगवान को दे देना

कर्म करना हमारा अधिकार है,
पर परिणाम देना भगवान का काम है।

हर काम के बाद बस इतना सोचें:
👉 “हे भगवान, यह परिणाम आपका है। जो भी हुआ, आपके अनुसार हुआ।”

इससे चिंता, डर और तनाव खत्म होता है।


🌼 3. रोज 2 मिनट का छोटा संकल्प

सुबह या रात में बस 2 मिनट:

“आज जो भी कर्म करूँगा, वह आपको समर्पित करूँगा।
मेरी सोच, मेरी वाणी, मेरा व्यवहार — सब आपका है।”

यह 2 मिनट आपको पूरे दिन ईश्वरीय मार्गदर्शन में रखता है।


🌼 4. स्वार्थ कम करके सेवा भाव बढ़ाना

भगवान कहते हैं:
“जहाँ सेवा है, वहीं मैं हूँ।”

किसी की मदद कर देना, अच्छा बोलना, क्रोध न करना —
ये सब कर्म भगवान को ही समर्पित होते हैं।


🌼 5. काम में सच्चाई, मन में पवित्रता

जब कर्म बिना धोखे, बिना छल और पूरी निष्ठा से होते हैं,
तो वे स्वतः भगवान को अर्पित हो जाते हैं।


🌼 6. मन में लगातार “साक्षी भाव” रखना

थोड़ा-थोड़ा याद रखते रहें:
👉 “मैं सिर्फ एक माध्यम हूँ।”
👉 “कर्त्ता भगवान हैं।”

यह भावना मन को हल्का कर देती है।


🌼 7. छोटा मंत्र → कर्म समर्पण मंत्र

काम शुरू करने से पहले या खत्म करते समय:

“ॐ कृष्णाय नमः — सब कर्म आपको अर्पित।”
या
“ॐ तत्सत्” (कर्म योग का मूल मंत्र)


🌞 संक्षेप में

भगवान को कर्म समर्पित करने के 3 मुख्य कदम:

  1. मैं साधन हूँ, कर्ता भगवान हैं।
  2. मैं कर्म करूँगा, फल भगवान का।
  3. हर काम सेवा समझकर करूँगा।

 
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